डेंगू बुखार (CARE OF CHILDREN DURING DENGUE)
डेंगू बुखार एक वायरस से होने वाला रोग है। इसके मुख्य लक्षण तेज बुखार, कमजोरी, बदन दर्द और सिर दर्द हैं। इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है, क्योंकि इसमें शरीर के जोडों में तेज दर्द होता है। इसकी तीव्रता वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक होती है।
यह रोग डेंगू वायरस से होता है एवं इसका वेक्टर एडीज मच्छर होता है। यह मच्छर साफ पानी में पैदा होता है तथा दिन में भी सक्रिय रहता है। बरसात के मौसम में एवं उसके कुछ महीनों बाद यह रोग अधिक फैलता है।
डेंगू पीड़ित को जब एडीज मच्छर काटता है तो उसके रक्त में उपस्थित डेगू वायरस मच्छर के शरीर में पहुंच जाता है जहां यह कुछ दिनों तक पनपता रहता है। जब यह मच्छर किसी स्वस्थ मनुष्य को काटता है तब डेंगू वायरस उसकी लार के साथ स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंच कर उसे बीमार कर देता है। संक्रमित मच्छर के काटने के 7-10 दिन बाद रोग के लक्षण दिखने लगते हैं।
डेंगू बुखार मुख्यतः तीन प्रकार का होता है।
1 सामान्य डेंगू बुखार
2 डेंगू हीमोरेजिक बुखार (DHF)
3 डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
सामान्य डेंगू 3 से 7 दिन में ठीक हो जाता है। जब डेंगू बुखार में रोगी के रक्त में सफ़ेद कोशिकाएं (Platelets) 100,000/cumm से कम हो जाती हैं तो इसे डेंगू हीमोरेजिक बुखार (DHF) कहते हैं। इसमें में रोगी के नाक, मसूडों, शौच, उल्टी में खून भी आ सकता है या त्वचा पर लाल चकत्ते हो सकते हैं। डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) में उक्त लक्षणों के साथ रक्त चाप कम हो जाता है जिससे रोगी के हाथ एवं पैर के पंजे ठंडे पड़ने लगते हैं, बैचेनी होती है एवं समय पर इलाज ना करवाने पर बेहोशी छाने लगती है।
साधारण डेंगू बुखार में चिकित्सक के मार्गदर्शन में रोगी की देखभाल घर पर कर सकते है। पर DHF या DSS का एक भी लक्षण दिखने पर निकटतम हास्पिटल में संपर्क करें एवं चिकित्सक की निगरानी में इलाज करायें। इसके इलाज में विटामिन K लाभदायक होता है। चूंकि डेंगू एक वाइरस से होने वाली बीमारी है इसमें एंटिबायोटिक दवाओं का भी कोई फ़ायदा नहीं होता है। डेंगू बुखार में धमनियाँ (ब्लड वेसेल्स) की पानी की भेदता (Permeability) बड़ जाने के कारण संवहनी कम्पार्टमेंट (Vascular Compartment) में खून कि आपेक्षिक कमी होने लगती है। इससे जांच में हीमोग्लोबिन कि मात्रा कृत्रिम ज्यादा आती है। यह स्थिति रोगी शरीर के लिए ठीक नहीं होती क्योंकि इससे जरूरी अंगों जैसे दिमाग, किडनी आदि में ऑक्सिजन एवं अन्य जरूरी अवयवों की पूर्ति में मुश्किल होने लगती है। इसीलिए डेंगू बुखार में रोगी को ज्यादा-से-ज्यादा तरल पदार्थ जैसे पानी, ओआरएस (ORS) का घोल, जूस, नारियल पानी, नीबू पानी, आदि लेना चाहिए।
अधिकतर बार रोगी बच्चों में भूख भी कम हो जाती है पर वो तरल पदार्थ लेते रहते हैं। पर जो बच्चे सुस्त हो जाते हैं या जो तरल पदार्थ (दूध-पानी) लेना कम देते हैं, उनको अस्पताल में भर्ती की जरूरत होती है, ऐसे बच्चों को अगले कुछ दिनों तक लगातार आईवी फ्लुइड चड़ाने कि जरूरत हो सकती है। जो बच्चे या बड़े रोगी तरल पदार्थों का सेवन प्रचुर मात्रा में करते रहते हैं उनको अधिकतर अस्पताल में भर्ती की जरूरत नहीं पड़ती है।
ज्यादातर रोगियों में प्लेटलेट्स चढाने की जरूरत नहीं पड़ती है। अनावश्यक प्लेटलेट्स चढाने के नुकसान भी हैं। डेंगू बुखार में सामान्य पेरासीटामोल (Paracetamol) ही सबसे सुरक्षित बुखार एवं दर्द निवारक दवा होती है। डेंगू बुखार की संभावना होने पर एसप्रिन, डिसप्रिन, ब्रूफेन, मेफेनामिक एसिड या अन्य ऊंचे दर्द निवारक दवाओं के उपयोग से बचना चाहिए।
बचाव के उपाय - मच्छरों को पनपने से रोकें। मच्छरों से बचाव हेतु उपाय करें। डेंगू के लक्षण दिखने पर डाक्टर का मार्गदर्शन लें।