कोविड के समय में बच्चों की देखभाल CARE OF CHILDREN DURING COVID
क्या कोविड संक्रमण फिर से बड़ सकता है?
टीकाकारण की धीमी रफ्तार, सामाजिक और व्यापारिक गतिविधियों का बड़ना, और आम जनता में घर के बाहर निकालने की आतुरता के चलते कोविड संक्रमण के अगले कुछ माह में बड़ने की काफी संभावना है। अभी समस्या यह है कि मन से हम सभी चाहते हैं की संक्रमण जड़ से समाप्त हो जाये, पर उसके लिए सख्त कदम उठाना कोई भी नहीं चाहता है। कोविड संक्रमण घातीय (Exponential) तरीके से बड़ता है, शुरू में संक्रमण का बड़ना धीमा होता है, पर सावधानी कि कमी के कारण समय के साथ इसका फैलना तेज़ होता जाता है।
क्या मेरे बच्चे को कोविड-19 बीमारी हो सकती है?
कोविड-19 श्वसन तंत्र को संक्रमित करने वाली कोरोना वाइरस से होने वाली बीमारी है। यह बीमारी छोटे-बड़े सभी मनुष्यों को संक्रमित कर सकती है। बच्चे भी इससे बीमार होते हैं। हालांकि यह देखा गया है कि ज़्यादातर बच्चों एवं कम उम्र के वयस्कों को कोविड-19 संक्रमण से गंभीर बीमारी नहीं होती है। लेकिन बच्चे घर के बाकी बड़े और बुजुर्गों में यह इस संक्रमण को फैला सकते हैं। कभी-कभी संक्रमण के कुछ हफ्तों के बाद बच्चे को मल्टीसिस्टम इनफ़्लेमेटोरी सिंड्रोम नामक गंभीर बीमारी भी हो सकती है।
क्या कोरोना वाइरस कोई नया वाइरस है? कोविड बीमारी कैसे होती है?
वैसे तो कोरोना वाइरस कोई नया वाइरस नहीं है, और शायद हजारों वर्षों से यह मनुष्यों को संक्रमित करता आ रहा है। पर अभी से दो दशक पहले तक यह सिर्फ साधारण खांसी-जुकाम के संक्रमण के लिए ही जाना जाता था। सन 2002 में पहली बार कोरोना वाइरस से होने वाले गंभीर फेफड़ों के संक्रामण Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS) associated Corona virus (SARS-CoV-1) का पता चला था, फिर सन 2012 में Middle East Respiratory Syndrome Coronavirus (MERS-CoV) का। हालांकि यह दोनों ही बीमारियाँ मरीजों में गंभीर नुकसान कर सकती थीं, पर अभी तक बच्चों में इनसे होने वाली गंभीर बीमारी कम ही देखी गई है।
कोविड-19 एक नए किस्म के कोरोना वाइरस (novel corona virus) से जन्मा है, और यह पिछले किसी भी कोरोना वाइरस के मुक़ाबले तेजी से फैलने और गंभीर बीमारी कर सकने में ज्यादा सक्षम है। हालांकि हमारा रोगप्रतिरोधक तंत्र ज़्यादातर मामलों में इससे निपटने में कारगर है, पर कभी-कभी यह इतना ज्यादा सक्रिय हो जाता है की वाइरस के समाप्त होने के बाद भी शांत नहीं हो पाता है और स्वयं अपने शरीर के अंगों को भी नुकसान पहुँचने लगता है (dysregulation of Immune Response)।
इस तरह कोविड-19 बीमारी दो तरीके से नुकसान करती है -- पहला, वाइरस के बड़ने (Viremia) के कारण, और दूसरा, शरीर के स्वयं के रोगप्रतिरोधक तंत्र के अनियमन (dysregulation) के कारण।
मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे बच्चे को कोविड संक्रमण हुआ है?
लगभग तीन चौथाई बच्चों एवं वयस्कों में कोविड-19 संक्रमण के लक्षण मामूली बुखार या सर्दी-खांसी से ज्यादा नहीं होते हैं। लगभग एक-चौथाई बच्चों को तेज बुखार, खांसी-जुकाम, उल्टी-दस्त आदि हो सकते हैं। तीन दिन से ज्यादा बुखार के रहने पर या तेज बुखार (>102.5F) आने पर अपने शिशुरोग विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।
अपने बच्चे को कोविड से बचाने के लिए मुझे क्या सावधानियाँ बरतनी होंगी?
बच्चों को कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए हमें अपने व्यवहार को शासन और चिकित्सकों द्वारा निर्धारित नियमों के अनुकूल बनाना होगा। अगले कुछ महीनो तक सभी प्रकार के सामाजिक, धार्मिक, और राजनैतिक समारोह जैसे शादी-विवाह, जन्मदिन, पूजन, मेले, रैलियाँ, आदि जहां पर भीड़ इकट्ठी होती है, में जाने से बचना चाहिए। अतिआवश्यक होने पर परिवार का केवल एक ही सदस्य समारोह में सम्मिलित हो वह भी हमेशा मास्क पहन कर और दूरी बना कर रखे। अपने घर पर भी किसी भी प्रकार के समारोह से बचें, एवं अतिआवश्यक होने पर सीमित सदस्यों के साथ पूरी सावधानी बरतते हुये ही मनायेँ। अधिक भीड़ एकत्रित करने वाले समारोहों का बहिष्कार करें।
अति आवश्यक हो तभी घर से बाहर निकलें। घर से बाहर जाते समय मुंह और नाक को अच्छी तरह से ढकने वाला मास्क पहन कर रखें। सामाजिक मेल के समय और बाजार में दो गज की दूरी बना के रखें और मास्क लगायें।
मुह्न और नाक पर बार-बार हाथ ना लगाएँ, घर की बार-बार छुई जाने वाली वस्तुओं को साफ रखें, बार-बार हाथ धोनें की और छींकते-खाँसते समय अपने मुह्न और नाक को कवर करने की आदत डालें।
संक्रामक बीमारियाँ बहुत जल्दी पीछा नहीं छोड़ती हैं, और हर बार कोविड-19 के केस कम होने पर यह सोचना की अब बीमारी खत्म होने वाली है, हमारी अज्ञानता ही दर्शायेगा।
इसीलिए इन सब बातों /आदतों का हमें लगातार पालन करना होगा और अपने बच्चों को भी सिखाना होगा।
बच्चे को कोविड संक्रमण होने पर क्या करें?
वैसे बचाव काफी जरूरी है, पर फिर भी यदि बच्चे को कोविड संक्रमण हो ही जाये तो ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। अपने शिशुरोग विशेषज्ञ से परामर्श करें एवं उनकी सलाह से ही दवा दें। बुखार का चार्ट बनाएँ, इससे समझ आता है कि बुखार कितनी देर में और कितना आ रहा है, और कुछ दिनों के चार्ट से पता चलता है कि वह बड़ रहा है या कम हो रहा है।
ज़्यादातर बच्चे अच्छा खाना, काफी मात्रा में तरल पदार्थ जैसे पानी, जूस, फलों का रस, आदि, जरूरत पड़ने पर बुखार की दवा और पर्याप्त आराम करने से ही ठीक हो जाते हैं।
तीन दिन से ज्यादा के बुखार में, बुखार के चार्ट के साथ शिशुरोग विशेषज्ञ से परामर्श करें। ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट भी करा कर देख सकते हैं।
अपने आप से सीटी स्कैन या अन्य कोई भी जांच ना कराएं। विशेषज्ञ डॉक्टर कई बार सीटी स्कैन की जगह साधारण छाती के एक्स-रे से भी संक्रमण की गंभीरता समझ लेते हैं।
बच्चे को घर के बुजुर्गों से यथासंभव दूर रखें। बड़े बच्चों को अलग कमरे में आइसोलेट किया जा सकता है, जबकि छोटे बच्चे के साथ कोई एक सदस्य जिसका टीकाकारण हो गया है वह साथ में रह सकता है।
पाँच दिन से ज्यादा का बुखार, सांस की परेशानी, काफी ज्यादा कमजोरी, खाना ठीक से ना खा पाना, ज्यादा समय सोते रहना या बेहोशी, आदि लक्षणो वाले बच्चों में डॉक्टर अस्पताल में भर्ती करने की सलाह भी दे सकते हैं।
कोविड के समय में बच्चों के अच्छे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए क्या उपाय हैं?
बच्चों के मानसिक विकास में अपने माता-पिता के साथ में बिताया गया समय बहुत ही उपयोगी है। छोटे बच्चे अपने चारों तरफ के पर्यावरण से सीखते हैं। उनके लिए हर चीज नई होती है और उनके बहुत से प्रश्न होते हैं। उनके सभी प्रश्नों का उत्तर देना बहुत ही कठिन पर जरूरी है। रचनात्मकता खाली समय के सदुपयोग से ही आती है। सर आइजेक न्यूटन ने केलकुलस, ऑपटिक्स, और गुरुत्वाकर्षण के नियमों के बारे में शुरुआती खोज तब की थी जब इंग्लैंड में फैली प्लेग की महामारी के कारण उनका कॉलेज (केंब्रिज) दो साल के लिए बंद हो गया था, और वह अपने घर पर खाली समय बिता रहे थे।
बच्चों की मैदानी खेलों में रुचि बड़ाना भी बहुत ही जरूरी है। एक स्तर तक शारीरिक गतिविधियां मानसिक विकाश को बेहतर करती हैं। दिन में एक से दो घंटे के मैदानी खेल, तेज पैदल चलना या दौड़ना, साइकल चलाना, आदि बच्चों की याददाश्त को बेहतर करता है। अपने परिवेश में हम यह सब कैसे कर सकते हैं यह हम सबको खुद ही सोचना होगा। साधारण कपड़े का मास्क भी यदि सभी बच्चों ने ठीक प्रकार से लगाया हो तो मैदानी खेल खेलते समय संक्रमण की संभावना काफी कम हो जाती है।
क्या अभी स्कूल शुरू करना उचित है?
स्कूल तो शायद अगले छ्ह महीने तक बंद ही रहने वाले हैं। यह उचित भी होगा। यदि हम वर्तमान समय में सावधानी बरतते हुये संक्रमण की दर को कम रखने में सक्षम हो पाये तो शायद अगले सत्र में स्कूल पूरी तरह से खुल सकते हैं। इस बीच शायद हम टीकाकरण की रफ्तार भी सुधार पाएंगे।
स्कूल खुलने पर स्कूल के मुख्य द्वार (gate) पर हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध करनी चाहिए। कक्षाओं में बच्चों को एक सीट छोड़ कर बैठने की व्यवस्था करना चाहिए। स्कूल कम समय के लिए ही खोलें जाएँ। कुछ कक्षाओं को एक दिन शेष को दूसरे दिन बुलाकर भी बच्चों की भीड़ को कम किया जा सकता है। इससे स्कूल बसों में भी अनावश्यक भीड़ नियंत्रित होगी। शालाओं में इंफ्रारेड थेर्मोमीटर की व्यवस्था की जानी चाहिए। बुखार एवं जुकाम-खांसी के लक्षण पाये जाने पर बच्चे को ठीक होने तक की छुट्टी दी जानी चाहिए। संभव हो तो स्कूल में कुछ शिक्षकों की ड्यूटि बच्चों के स्वास्थ्य की देखरेख में भी लगानी चाहिए, यह शिक्षक बीमार बच्चों के अभिभावकों से फोन पर उनके स्वास्थ्य की निरंतर जानकारी रख सकते हैं।
क्या कोविड की अगली वेव में बच्चों के ज्यादा बीमार होने की संभावना है?
सांस और हवा से फैलने वाले अन्य संक्रमणों की तरह, कोविड भी एक तेजी से बदने वाली बीमारी है। यह एल्गोरिथमिक तरीके से (1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, ..) नहीं बल्कि एक्स्पोनेंशियल तरीके से (1, 2, 4, 8, 16, 32, 64, ..) फैलता है। ऐसे में यदि कुछ लोगों की लापरवाही से बीमारी तेजी से फैलती है।
कोविड की पिछली वेव के अनुसार देखा जाये तो बच्चों के बड़ों के मुक़ाबले ज्यादा संक्रमित होने की कोई संभावना नहीं है।
कोविड की अगली वेव में ज्यादा बच्चों के संक्रमित होने की थ्योरी इस आधार पर दी गई थी कि शायद कोविड की तीसरी वेव में दूसरी के मुक़ाबले और भी ज्यादा लोग संक्रमित हो सकते हैं और उसी अनुपात में बच्चे भी ज्यादा संक्रमित होंगे। यह अनुमान यूरोप और अमेरिका में कोविड-19 की तीसरी वेव में तेजी से फैलते संक्रामण पर आधारित है।
लेकिन बड़ों के मुक़ाबले बच्चों में अनुपात से अधिक (disproportional high) संक्रमण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। वैसे कोविड की अगला वेव की विध्वंशता समाज में लोगों कि जागरूकता, सावधानियों का पालन करने की चेष्टा, और टीकाकारण के प्रति रुझान, और सरकार की दूरदृष्टि और नीतियों पर निर्भर करेगी।
ऐसा क्या है जिससे बच्चों को कोविड की बीमारी से ज्यादा खतरा नहीं होता है?
बच्चों को कुछ खास फायदे होते हैं, जैसे वातावरण के प्रदूषण से कम सामना, अच्छा खाना, और लगभग हर दिन खेल-कूद से होने वाली कसरत। इसके अलावा बच्चों के शरीर में एक खास तरह का प्रोटीन ACE2 कम मात्रा में पाया जाता है। यह प्रोटीन कोरोना वाइरस के सेल के अंदर प्रवेश करने में मदद करता है। बच्चों में सायटोकाइन स्टोर्म जैसा रोगप्रतिरोधक तंत्र का अनियमन भी बड़ो के मुक़ाबले काफी कम होता है। हालांकि, बच्चों में कोविड-19 की गंभीर बीमारी होने की संभावना कम होती है, संक्रमित होने पर वह बीमारी फैलाने में बराबर के भागीदार होती हैं।
बच्चों में मल्टीसिस्टम इनफ़्लेमेटोरी सिंड्रोम (MIS-C) क्या है?
कोविड संक्रमण से उभरे कुछ (एक प्रतिशत से भी कम) बच्चों में संक्रमण ठीक होने के एक से दो महीने के, बाद जब शरीर अपनी रोगप्रतिरोधक प्रणाली द्वारा लंबे समय की सुरक्षा के लिए एंटीबॉडी बना रहा होता है, तेज बुखार के साथ शरीर पर दाने, आँखों में लाली, कमजोरी, पेट में दर्द, उल्टी-दस्त, ब्लड प्रैशर कम होना, बेहोशी, आदि लक्षण हो सकते हैं। इसमें शरीर के कई सारे अंग एक साथ प्रभावित होते हैं और अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाते हैं।
इस प्रकार के लक्षणों वाले बच्चों को तुरंत अपने शिशुरोग विशेषज्ञ या बच्चों के अस्पताल में दिखायें। विशेषज्ञ डॉक्टर बच्चे का परीक्षण करके और कुछ जाँचो के साथ बीमारी की पुष्टि करते हैं।
यह बीमारी गंभीर होती है और इसका समय पर इलाज बेहद जरूरी है। ज़्यादातर बार इसका इलाज अस्पताल में भर्ती करके ही किया जा सकता है।
इस बीमारी का स्पष्ट कारण तो अभी तक ज्ञात नहीं है, पर शरीर के रोगप्रतिरोधक तंत्र का अनियमन (dysregulation) इसका कारण हो सकता है। इससे बचाव का एक ही तरीका है, कोविड-19 से बचाव और सावधानी। यदि पालक समय पर अपना टीकाकारण करवा लेते हैं तो बच्चों में कोविड संक्रमण की संभावना काफी कम हो जाती है।
क्या हमारे बच्चों को भी ब्लैक फंगस की बीमारी हो सकती है?
कवक (फफूँद) या फंगस समान्यतः दाद और खुजली जैसे त्वचा रोगों का कारक होते हैं। वर्तमान मे फैल रहा ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) भी कवक (फंगस) या फफूँद से होने वाला रोग है।
ब्लैक फंगस सामान्यतः उन लोगो को प्रभावित कर रहा है जिनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है, अधिक शुगर भी इसे तेजी से बड़ने मे सहायक है। कोरोना के इलाज मे स्टेराॅयड दिये जा रहे है, जो प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर करते है जिसके चलते ब्लेक फंगस को बडने का अवसर मिल रहा है।
स्टेराॅयड देने के कारण -- कोरोना से ग्रसित कुछ लोगो में (10 में से लगभग 1 व्यक्ति) हमारा प्रतिरक्षा तंत्र वायरस को मारने के लिए इतना उत्तेजित हो जाता है कि हमारे आंतरिक अंगो जैसे फेंफडे, ह्रदय, आदि को भी क्षति पहुंचाने लगता है, अतः प्रतिरक्षा तंत्र को शांत करने स्टेराॅयड दिये जा जाते हैं। समान्यतः जब बीमारी के लक्षण 5-6 दिन में कम होने की जगह बड़ने लगें तब स्टेराॅयड की दवाओं का उपयोग किया जाता है।
हमने कहानी सुनी है देवी माॅ महाकाली रक्तबीज दानव जिसका एक बूद रक्त भूमि पर गिरने से नये रक्तबीज बन जाते थे, उससे लड़ते हुए इतनी आक्रोषित हो गयी की रक्तबीज को मारने के बाद सृष्टि को नष्ट करने लगीं तब भगवान शिव उनके मार्ग पर लेट गये ओर उन पर पैर पड़ते ही देवी माॅ का क्रोध शांत हो गया। यही कार्य (हमारे उत्तेजित रोगप्रतिरोधक तंत्र को शांत करने का कार्य) स्टेराॅयड करते हैं। पर इस अवसर का लाभ अन्य रोग कारक (रोगाणु / फंगस) उठा लेते हैं।
हालांकि, चूंकि अधिकतर बच्चों में कोविड की बीमारी ज्यादा गंभीर नहीं होती है और इसीलिए उनमें स्टेराॅयड दवाओं का उपयोग भी काफी कम ही होता है। इसीलिए बच्चों में अभी तक ब्लैक फंगस गंभीर समस्या नहीं है।
यदि माँ कोविड पॉज़िटिव है तो?
अभी तक की मेडिकल रिसर्च के अनुसार संक्रमित माँ के दूध से उसके शिशु को कोविड-19 नहीं होता है, बल्कि ऐसे में माँ का दूध बच्चे को ज्यादा गुणकारी होता है। यदि माँ की सेहत इजाजत देती है तो माँ के दूध के फायदे बच्चे में कोविड होने के जोखिम से कहीं ज्यादा होते हैं। शिशुओं में ज़्यादातर संक्रमण उनके ख्याल रखने वालों के मास्क ना पहनने और शिशुओं को देखभाल/छूने के पहले हाथ साफ ना करने के कारण होता है। इसीलिए नवजात शिशुओं की देखभाल करते समय कोविड-19 की सावधानियों का ध्यान रखना अतिआवश्यक है।
क्या कोविड-19 का टीकाकरण (COVID-19 VACCINATION) करवाना उचित है?
कोविड-19 बीमारी से बचाव का सर्वोत्तम तरीका इसका टीकाकरण ही है। बाजार और सरकारी क्षेत्र में उपलब्ध सरकार द्वारा प्रमाणित और पारित किए गए सभी टीके बीमारी से बचाव में प्रभावी हैं। सरकार द्वारा प्रमाणित सभी टीके पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इनमें से किसी के भी कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पाये गए हैं।
कुछ लोगों में यह भ्रम पाया गया है की टीकाकरण के बाद कुछ समय तक शरीर की इमम्यूनिटी कम हो जाती है और इसीलिए सरकार दूसरे टीका लगने के 15 दिन बाद तक पूरी तरह से सतर्क रहने और मास्क पहन कर रखने की हिदायत देती है। हालांकि यह बात पूरी तरह से गलत है। सरकारी हिदायत का मतलब यह नहीं है की शरीर इतने दिनों तक बीमारी के लिए ज्यादा ग्रहणशील है, बल्कि उसका मतलब यह है की टीके के कारण कोविड-19 के विरुद्ध मिलने वाली इमम्यूनिटी (रोग-प्रतिरोधक क्षमता) तैयार करने में शरीर को थोड़ा समय लगता है। कोई भी टीका शरीर की पुरानी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कभी भी कम नहीं करता है, बल्कि एक नई बीमारी से बचाने की क्षमता जोड़ता है। बात बस इतनी सी है कि इस कार्य में शरीर को थोड़ा समय लग जाता है।
एक और भ्रम कि यदि व्यक्ति को दूसरा टीका समय से नहीं लग पाया तो पहले टीके का कोई मतलब नहीं रहता है। जबकि ऐसा भी बिलकुल नहीं है। क्लिनिकल ट्रायल्स में यह पाया गया है कि सिर्फ एक टीका भी शरीर कि रोग-प्रतिरोधक तंत्र को उस बीमारी से लड़ने के लिए बेहतर बना देता है। हाँ, यह जरूर है कि दूसरी डोज़ और आगे लगने वाले बूस्टर डोज़ शरीर को बीमारी से लंबे समय तक बचाने के लिए तैयार करते हैं। यदि किसी कारण से आप दूसरा टीका समय पर ना लगवा पाएँ, तो उसके बाद जब भी मौका मिले उसे जरूर से लगवा लें।
अगर किसी को कोविड की बीमारी हो चुकी हो तो वह व्यक्ति भी 8--12 हफ्ते के बाद टीका जरूर से लगवाए।
जैसा कि कहते हैं कि बीमारी के इलाज से उसकी रोकथाम कहीं बेहतर है। तो अपना नंबर आने पर कोविड-19 का टीका जरूर लगवायें।
नियो चिल्ड्रन हॉस्पिटल , सागर , म. प्र. की ओर से आप सभी को अच्छी सेहत और तंदरुस्ती के लिए ढेर सारी शुभकामनायें!
भारत सरकार कि नई गाइडलाइन के अनुसार छोटे बच्चों को दूध पिलाने वाली माँओं एवं गर्भवती महिलाओं के लिए भी कोविड-19 का टीकाकारण पूर्णतः सुरक्षित है एवं वह भी इसे जरूर लगवायें।